दे दूं कुछ और अभी जीवन भर का सुमिरन देकर भी करता मन दे दूं कुछ और अभी भक्ति-भाव अर्जन ले लो शक्ति-साध सर्जन ले लो अर्पित है अन्तर्तम अहं का विसर्जन लो जन्म लो-मरण ले लो स्वप्न-जागरण ले लो चिर संचित श्रम साधन देकर भी करता मन दे दूं कुछ और अभी यह नाम तुम्हारा हो धन-धाम तुम्हारा हो मात्र कर्म मेरे हों परिणाम तुम्हारा हो उंगलियां सुमरनी हों सांसे अनुकरनी हों शश्वत-स्वर आत्मसुमन देकर भी करता मन दे दूं कुछ और अभी