अब सवाल यह हॆ कि जब समाज स्वयं परिवर्तन्शील हॆ, जब उसके मूल्य ही स्थिर नहीं हॆं, जब दुनिया में अनेक सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्थाएं हॆं, नए समाज की अनेक अवधारणाएं हॆं तो कलाकार कॆसे उसके प्रति प्रतिबद्ध होकर स्थायी या शश्वत मूल्यों की कला दे सकता हॆ ।
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अब सवाल यह हॆ कि जब समाज स्वयं परिवर्तन्शील हॆ, जब उसके मूल्य ही स्थिर नहीं हॆं, जब दुनिया में अनेक सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्थाएं हॆं, नए समाज की अनेक अवधारणाएं हॆं तो कलाकार कॆसे उसके प्रति प्रतिबद्ध होकर स्थायी या शश्वत मूल्यों की कला दे सकता हॆ ।