स्वभाव द्विस्वभाव है, तत्त्व पृथ्वी, शीर्षोदय राशि, दिशा दक्षिण-पश्चिम, पद द्विपद, शीर्षोदय उदय, जाति शूद्र और लिंग स्त्री है।
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स्वभाव द्विस्वभाव है, तत्त्व पृथ्वी, शीर्षोदय राशि, दिशा दक्षिण-पश्चिम, पद द्विपद, शीर्षोदय उदय, जाति शूद्र और लिंग स्त्री है।
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शीर्षोदय राशि के कारण अश्लील ढंग नहीं अपनाते, दिन में विशेष सुख मिलता है और सामने से ही क्रियारत होते हैं।
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यह चर राशि, तत्त्व आकाश, शीर्षोदय उदय, दिशा पश्चिम, निवास हाट-बाजार, रंग रंग-बिरंगा, जाति वैश्य, पद द्विपद, आकार अष्टकोण, शरीर में स्थान नाभि, ग्रह स्वामी शुक्र है।
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स्त्री राशि, मनोरंजन के स्थान, चारागाह, शुभ राशि, मध्यम कद शीर्षोदय राशि, पौधों वाली भूमि, कन्धों तथा भुजाओं का झुकना, सच्चा दयालुता, काले बाल, अच्छी मानसिक योग्यता, विधि अनुसार कार्य करने वाली तर्कशील होती है।
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कुम्भ-पुरुष जाति, स्थिरसंज्ञक, वायु तत्व, विचित्र वर्ण, शीर्षोदय, अर्द्धजल, त्रिदोष प्रकृति, दिनबली, पश्चिम दिशा की स्वामिनी, उष्ण स्वभाव, शूद्र वर्ण, क्रूर एवं मध्य संतान वाली है।
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यदि त्रिषडाय भावों में राहु की स्थित होने के साथ-साथ जन्म कुंडली के सभी ग्रह भी शीर्षोदय राशियों (मिथुन, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, कुंभ) में स्थित हो तब भी राहु एक रक्षक की भूमिका अदा करता है।
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यदि द्वादश भाव में शीर्षोदय राशि (सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक या कुंभ) हो तो जातक स्वर्ग जाता है, और यदि पृष्ठोदय राशि (मेष, वृष, कर्क, धनु या मकर) हो तो नरक को प्राप्त होता है।
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प्रश्न कुंडली के आधार पर कार्य की सफलता एवं असफलता का विचार यदि प्रश्न लग्न में शुभ ग्रह स्थित हो, लग्न बली हो अथवा प्रश्न लग्न शुभ ग्रहों के वर्गों में पड़ता हो अथवा प्रश्न लग्न में शीर्षोदय राशि हो तो इच्छित कार्य की सिद्धि होती है।
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ज्योतिषशास्त्री मानते हैं कि शपथ ग्रहण करने के लिए शीर्षोदय राशि यानी मिथुन, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक एवं कुम्भ राशि के लग्न उत्तम होते हैं मुहुर्त लग्न में शुभ ग्रह प्रथम, चतुर्थ, पंचम, सप्तम, नवम एवं दशम स्थान में हों तथा तृतीय, षष्टम एवं एकादश स्थान में पाप ग्रह हों तो शुभ होता है.