पहले ज़माने में स्त्री-मर्द, विवाहित या अविवाहत, के आश्काना संबंधों को समाजक मानता नहीं थी.
12.
आब समाजक दायित्व बनैत छलैक जे कर्ताक इच्छाक पूर्ति कोना हो आ समाज तदनुसार अपन काज करैत छल ।
13.
ओ समाजक समक्ष अपन मोनक इच्छा रखैत छलाह जे हम अपन पिता / माता श्राद्धक निमित ई सभ करय चाहैत छी ।
14.
अपन कोंढ धुनि कऽ बेचारी गुजर करैत छैक-एहि मे कोन लाज? बेटी समाजक होईत छैक-धुर् जो एहि गामक लोक के।
15.
प्रत्येक व्यक्तिके ँ समाजक सांस्कृतिक जीवनमे अबाध रूपे ँ भाग लेबाक, कलाक आनन्द लेबाक तथा वैज्ञानिक विकासमे आ‘ तकर लाभमे अंश पएबाक अधिकार छैक।
16.
जाति-प्रथा में ब्राह्मण कें सबसँ श्रेष्ठ मानल गेल अहि जाहि चलते हुनकर कर्तव्य होईत छनि जे ओ अपन ज्ञान आ शास्त्रसम्मत कर्म सँ समाजक मार्ग द
17.
जाति-प्रथा में ब्राह्मण कें सबसँ श्रेष्ठ मानल गेल अहि जाहि चलते हुनकर कर्तव्य होईत छनि जे ओ अपन ज्ञान आ शास्त्रसम्मत कर्म सँ समाजक मार्ग दर्शन करैत रहथि।
18.
-हर कोई सभी प्रकार के अधिकारों के नस्ल, रंग, लिंग, भाशा, धर्म, राजनीतिक या ओर विचारां, कौमी या समाजक पछौकड़, ज़मीन, जन्म या किसी भी ओर हैसीयत में कोई भी बिना किसी फर्क से हक्कदार है।
19.
अनुच्छेद 22 प्रत्येक व्यक्तिके ँ समाजक एक सदस्यक रूपमे सामाजिक सुरक्षाक अधिकार छैक आओर प्रत्येक व्यक्तिके ँ अपन गरिमा आ‘ व्यक्तित्वक निर्बाध विकासक हेतु अनिवार्य आर्थिक, सामाजिक आ‘ सांस्कृतिक अधिकार-राष्ट्रीय प्रयास आओर अन्तरराष्ट्रीय सहयोगसँ तथा प्रत्येक राज्यक संघठन आ‘ संसाधनक अनुरूप-प्राप्त करबाक हक छैक।
20.
नागार्जुन मैथिलीकप्रमुख लेखक छैथि...२००३ में मैथिली के भारतीय संविधानक आठम अनुसूची में शामिल कएल गेल अछि... हम मैथिल... सांस्कृतिक रूप स मिथिला अपन भाषा, बोली, रचना, समृद्धि के लेल जानल जाइत अछि...कला संस्कृति, भाषा वासाहित्य आदिकाल स मिथिलाक पहचान रहल अछि...मुदा मैथिली भाषा के उचित सम्मान मिलवाक चाही आई धरिनहिं मिलल॥आई मैथिली समाजक लोक दुनिया भर में जतय छथि..मैथिली में रचना कय रहल छथि..अपनयोगदान द रहल छथि..एहि भाषाक विकासक लेल काम क रहल छथि....