| 1. | एहन प्रस्तु2तिक मूल उद्देश्या छलैक राष्ट्रत आ समाजक
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| 2. | नहीं ताकय पड़त फेर ककरो दिस अपन समाजक लेल
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| 3. | नै बनितै समाजक लेल दरिद्र ओ भिखारी
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| 4. | करिओ ओकरो आगू समाजक विकासक लेल
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| 5. | हे नेना हउ, हे बुच्ची यै, आब करू काज समाजक लेल
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| 6. | कि मात्र छोट मोट निज स्वार्थ लेल समाजक हित ताक पर नहि राखी
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| 7. | अतिथि डॉ. वीणा ठाकुर कहलनि जे साहित्य एवं समाजक कल्याणक हेतु भाषा एवं
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| 8. | अपन कि गांव समाजक के कहे...देशक भार सम्हारै लए खोपा आ आंचर बान्हि रहल छैक।
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| 9. | ई सम्भव नहि छैक जे परिवारक रिस्क लय कय समाजक उद्धार करय लेल सभ लोकन्हि सहमत होएत.
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| 10. | कि वर्गक भेद सभ काज में नही आनी, पावनि त्यौहार, वियाह दान अलग थिक आओर समाजक विकास अलग
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