| 11. | मुक्ति चार प्रकार की होती है: सालोक्य, सामीप्य, सारूप्य तथा सायुज्य।
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| 12. | सारूप्य: जिसमे कि भगवान आपको अपने जैसा रूप प्रदान कर देते हैं.
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| 13. | उस बीजरूप चिह्न से ही योगीजन आपको पहचानते तथा आपका सारूप्य प्राप्त कर लेते हैं।
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| 14. | यदि ऊपर से प्रश्न का जवाब न मिले तो वह सारूप्य से रहित रूप है।
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| 15. | भोग भी सालोक्य, सामीप्य, सारूप्य तथा सायुज्य भेद से चार प्रकार का होता है।
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| 16. | उससे पूर्व सब आत्माओं का सविकार ब्रह्म में ही सामीप्य, सारूप्य, सायुज्य आदि हो सकता है।
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| 17. | शरीर त्यागने के बाद पुन: गोलोक में जाकर वह भगवान् श्रीकृष्ण का सारूप्य प्राप्त करके उनका पार्षद बन जाता है।
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| 18. | कोई पवित्र हो या अपवित्र, इस नाम-मंत्र का निरन्तर जप करने वाला सालोक्य, सामीप्य, सारूप्य और सायुज्य-चारों प्रकार की मुक्ति प्राप्त करता है।
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| 19. | इस ज्ञान को प्राप्त व्यक्ति मेरे स्वरूप को प्राप्त कर मेरा सारूप्य हो सदा के लिए शोक और भय से मुक्त हो जाता है।
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| 20. | हिस्सेदारों और कंपनी के सारूप्य को अस्वीकार कर यह सिद्धांत न्यायालयों को समूह का पर्दा हटाकर वास्तविक हितों को देखने की शक्ति प्रदान करता है।
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