| 1. | ये सालोक्य मुक्ति है, सारूप्य मुक्ति है।
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| 2. | उसे भगवान् सारूप्य प्राप्त हो जाता है।
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| 3. | मूल समस्या उपाय और अपेय के सारूप्य की है।
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| 4. | मुक्तिके ४ प्रकार हैं-सालोक्य, सामीप्य, सारूप्य व सायुज्य ।
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| 5. | सालोक्य, सामीप्य, सारूप्य एव सायुज्य मुक्ति की प्राप्ति भी होती है।
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| 6. | मुक्तियाँ भी सायुज्य, सामीप्य, सालोक्य, सारूप्य चार हैं।
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| 7. | मुक्तिके ४ प्रकार हैं-सालोक्य, सामीप्य, सारूप्य व सायुज्य ।
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| 8. | भगवान् का सारूप्य प्राप्त कर वह उन्हीं की सेवा में सदा लगा रहता है।
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| 9. | सारूप्य-जीव भगवान के साम्य (जैसे चतुर्भुज) रूप लिए इच्छाएं अनुभूत करता हैं।
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| 10. | वे ही चारों प्रकार की मुक्ति यानी सालोक्य, सारूप्य तथा सान्निध्य के प्रदाता हैं।
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