अष्टावक्र बोले कि आठ वसु हैं तथा यज्ञ के स्तम्भक कोण भी आठ होते हैं।
12.
इसके कोमल फल-स्तम्भक, कसैले, हितकारी,तथा तृषा पित्त-कफ और रूधिरदोष नाशक है ।
13.
इसमें कषाय रस एवं स्तम्भक गुण होने से रक्तष्ठीवनआदि उपद्रव में भी अच्छा लाभ करती है.
14.
के फूल स्तम्भक, तॄष्णा शामक कोढ दूर करने वाला,कह च पित्त नाशक,भूख बढाने वाले होते हॆ.
15.
नीयमित रुप से कम से कम चालीस दिन तक प्रयोग करें यह वीर्य स्तम्भक अचूक योग है।
16.
गुण-कठूमर स्तम्भक, शीतल,कसैला,तथा पित्तकफ,व्रण,श्वेतकुष्ट,पाण्डुरोग,अर्श,कामला,दाह,रक्तातिसार,रक्तविकार,,शोथ,उर्ध्वश्वास एवं त्वग दोष विनाशक है ।
17.
यह शक्तिवर्धक, चोट से निकलते खून को रोकने वाला (रक्त स्तम्भक) एवं प्रमेह नाशक भी है।
18.
क्योंकि टाइफाइडबुखार हमारे देश में बहुत सामान्य है इसे स्तम्भक के सावधानीपूर्वक विवरण शारीरिक परीक्षण और रक्त संवर्धन द्वारा हमेशा बाहर करना चाहिए।
19.
प्रथम बाह्य वृत्तिक, द्वितीय आभ्यांतर वृत्तिक, तृतीय स्तम्भक वृत्तिक और चतुर्थ वह प्राणायाम होता है, जिसमें बाह्य एवं आभ्यांतर दोनों प्रकार के विषय का अतिक्रमण
20.
दालचीनी, संकोचक, स्तम्भक, कीटाणुनाशक, वातनाशक, फफून्दनाशक, जी मिचलाना और उल्टी रोकने वाली, पेट की गैस दूर करने वाली है।