| 11. | इसीलिए आगे चल कर उन्होंने स्वयंकृत कृषि का अनापत्ति में निषेध किया है।
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| 12. | पशुपालन वैश्य की।” इन सबों का तात्पर्य यह हैं कि स्वयंकृत (अपने हाथ से
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| 13. | स्वयंकृत पाप अपने को और शिष्य द्वारा किए गए अपराध का पाप गुरु को लगता है ।
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| 14. | स्वयंकृत पाप अपने को और शिष्य द्वारा किए गए अपराध का पाप गुरु को लगता है ।
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| 15. | जैसा दिखला चुके हैं, उनमें से प्रथम अर्थात् स्वयंकृत तो आपत्तिकाल में ब्राह्मण द्वारा किये जा सकते हैं।
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| 16. | उनमें दूसरे प्रकार के अर्थात ' अस्वयं कृत ' ब्राह्मणों के लिए है और ' स्वयंकृत ' वैश्यों के लिए।
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| 17. | एक ' स्वयंकृत '-अपने हाथों किए गए और दूसरे ' अस्वयं कृत '-नौकर द्वारा कराए गए।
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| 18. | जैसे कि वह स्वयंकृत है और पूरी तरह से ईश्वर भी है, और परमपिता परमेश्वर और ईश्वर के पुत्र के समकक्ष और सहशाश्वत है.
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| 19. | जैसे कि वह स्वयंकृत है और पूरी तरह से ईश्वर भी है, और परमपिता परमेश्वर और ईश्वर के पुत्र के समकक्ष और सहशाश्वत है.
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| 20. | इन सभी का तात्पर्य केवल अनापत्ति काल में अपने हाथ में (स्वयंकृत) कृषि, वाणिज्य, गोपालन और कुसीद (सूद का व्यवहार) करने में हैं।
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