2. 13.2 जहाँ 'य' श्रुतिमूलक व्याकरणिक परिवर्तन न होकर शब्द का ही मूल तत्व हो वहाँ वैकल्पिक श्रुतिमूलक स्वरात्मक परिवर्तन करने की आवश्यकता नहीं है।
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2. 13.2 जहाँ 'य' श्रुतिमूलक व्याकरणिक परिवर्तन न होकर शब्द का ही मूल तत्व हो वहाँ वैकल्पिक श्रुतिमूलक स्वरात्मक परिवर्तन करने की आवश्यकता नहीं है।
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2. 13.2 जहाँ ' य ' श्रुतिमूलक व्याकरणिक परिवर्तन न होकर शब्द का ही मूल तत्व हो वहाँ वैकल्पिक श्रुतिमूलक स्वरात्मक परिवर्तन करने की आवश् यकता नहीं है।
14.
सुप्रसिद्ध इसराज और मयूरी वीणा वादक पण्डित श्रीकुमार मिश्र के अनुसार-राग मियाँ की मल्हार की सशक्त स्वरात्मक परमाणु शक्ति, बादलों के परमाणुओं को झकझोरने में समर्थ है।
15.
बात को आगे बढ़ाते हुए और भ्रम को दूर करने के लिए लिखा गया है-जहाँ ‘य ' शब्द का ही मूल तत्व हो, वहाँ स्वरात्मक परिवर्तन की आवश्यकता नहीँ है.
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बात को आगे बढ़ाते हुए और भ्रम को दूर करने के लिए लिखा गया है-जहाँ ‘य ' शब्द का ही मूल तत्व हो, वहाँ स्वरात्मक परिवर्तन की आवश्यकता नहीँ है.
17.
1982 में पुरानी वर्णविन्यास प्रणाली, जो कि (polytonic) के रूप में जानी जाती थी, को सरलीकृत करके एकल स्वरात्मक (monotonic) प्रणाली में बदल दिया गया, जो कि आज ग्रीक में शासकीय है.
18.
बात को आगे बढ़ाते हुए और भ्रम को दूर करने के लिए लिखा गया है-जहाँ ‘ य ' शब्द का ही मूल तत्व हो, वहाँ स्वरात्मक परिवर्तन की आवश्यकता नहीँ है.
19.
2. 13.1 जहाँ श्रुतिमूलक य, व का प्रयोग विकल्प से होता है वहाँ न किया जाए, अर्थात् किए: किये, नई: नयी, हुआ: हुवा आदि में से पहले (स्वरात्मक) रूपों का प्रयोग किया जाए।