| 11. | अमृत स्वरूपी ब्रह्म तो, महिमा महिम है महान है॥
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| 12. | सत्य को समझना = सह-अस्तित्व स्वरूपी अस्तित्व को समझना।
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| 13. | सह-अस्तित्व स्वरूपी अस्तित्व में स्वयं-स्फूर्त प्रकटन है।
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| 14. | (१) सह-अस्तित्व स्वरूपी अस्तित्व ही “परम-सत्य” है।
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| 15. | सत्य स्वरूपी विचार ज्यादा प्रभावशाली होता है।
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| 16. | जिसके फलन में सह-अस्तित्व स्वरूपी अस्तित्व में अनुभव हुआ।
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| 17. | सह-अस्तित्व स्वरूपी अस्तित्व में इतना ही है।
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| 18. | सत्य स्वरूपी नाम साहिब का, सो है नाम हमारा।।
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| 19. | और फिर अनुभव में सह-अस्तित्व स्वरूपी सत्य ही पहुँचता है।
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| 20. | सह-अस्तित्व स्वरूपी सत्य ही संतुलन है।
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