कालांतर में विभिन्न देशों ने यह अनुभव किया कि स्वर्णमान में विनिमय कीस्थिर तो रहती है पर इस स्थिरता को कायम रखने में आंतरिक स्थिति अस्थिरहो जाती है.
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अमेरिका ने 1971 में जब डॉलर को स्वर्णमान से अलग किया तो सोने की कीमत 35 डॉलर प्रति औंस से चढ़ती हुई 1980 में 835 डॉलर प्रति औंस पहुंच गई।
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अर्थव्यवस्था के विकास के लिए इन दोनों परनियंत्रण जरूरी होता है स्वर्णमान देशों ने धीरे धीरे यह भी अनुभव कियाकि विनिमय अस्थिरता की ध्ध्ध् आंतरिक अस्थिरता अधिक हानिकर होती है और इसलिएआंतरिक स्थिरता ध्ध्ध् स्थिरता की अपेक्षा कहीं अधिक आवश्यक चीज है.
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जिगमोंडी के अनुसार किसी कलिल संरक्षक का स्वर्णमान कलिल संरक्षक के मिलीग्रामों की वह संख्या है जिसकी उपस्थिति में स्वर्ण के १० घन सेंटीमीटर प्रामाणिक कलिल को सोडियम क्लोराइड के ऐसे १घन सें. मी. विलयन द्वारा, जिसका सांद्रण १० प्रतिशत हो, अवक्षिप्त किया जा सके।
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जिगमोंडी के अनुसार किसी कलिल संरक्षक का स्वर्णमान कलिल संरक्षक के मिलीग्रामों की वह संख्या है जिसकी उपस्थिति में स्वर्ण के १० घन सेंटीमीटर प्रामाणिक कलिल को सोडियम क्लोराइड के ऐसे १घन सें. मी. विलयन द्वारा, जिसका सांद्रण १० प्रतिशत हो, अवक्षिप्त किया जा सके।
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) का एक-तिहाई थी. यह हरजाने की रकम १८९५-९६ में विदेशी मुद्रा के रूपमें भुगतान की गई तथा इसने `सेना व नौसेना का प्रसार सम्भव बनाया वरेल-मार्गों के प्रसार, तार व टेलीफोन की सेवाओं के विकास, यवाता लोहामिल की स्थापना तथा स्वर्णमान स्वीकार करने में भी जापान की सहायता की.
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सोने, चांदी के सिक्कों की प्रतिभूति के एवज में बैंकों द्वारा बैंकनोट जारी किया जाना और उन बैंकनोटों के धारक को बैंकनोटों के बदले में सोने, चांदी के सिक्के (रुपए) देने की गारण्टी होना, इसे बैंकनोटों को जारी करने की स्वर्णमान व्यवस्था (Gold Standard System) कहा गया।