पूरा चार्ट के सिद्धांत में लगता है अतिव्याप्ति पूंछ के वितरण “ ठीक ”, जबकि में
22.
ला. ठा. को व्याप्ति, अव्याप्ति और अतिव्याप्ति के दोष के खतरे के बावजुद भी अत्याधिक वृतान्त करनेमें दिलचस्पी है.
23.
कोशों में प्रधानता अर्थों और विवेचनों की ही होती है, अत: उनमें कहीं व्याप्ति या अतिव्याप्ति नहीं रहनी चाहिए।
24.
कोशों में प्रधानता अर्थों और विवेचनों की ही होती है, अत: उनमें कहीं व्याप्ति या अतिव्याप्ति नहीं रहनी चाहिए।
25.
परन्तु इसमें भी साधन कार्यत्व का अव्यापकत्व होने के कारण उपाधि का लक्षण समन्वित होने से अतिव्याप्ति दोष हो जाता है।
26.
घटत्व साधन का अव्यापक होने पर भी साध्य-अनित्यत्व का व्यापक नहीं है अत: अतिव्याप्ति का सरलता से निरास हो जाता है।
27.
समकालीन शब्द” में एक सहज अतिव्याप्ति है, पर दूसरी ओर इसमें एक निश्चित एतिहासिक परिप्रेक्ष्य को स्पष्ट करने की क्षमता भी है.
28.
यह अतिव्याप्ति आंतरिक विवादों की सम्भावना बनाती है तथा ऐसे संवैधानिक संशोधनों तथा न्यायिक निर्णयों का कारण बनती है जिनसे शक्ति-संतुलन में परिवर्तन आता है.
29.
धन की अतिव्याप्ति व्यक्ति को जहाँ एक ओर असुरक्षित बनाती है वहीं भ्रष्टाचरण के लिए उकसाती है और अन्ततः मानवता से दूर ले जाती है।
30.
धन की अतिव्याप्ति व्यक्ति को जहाँ एक ओर असुरक्षित बनाती है वहीं भ्रष्टाचरण के लिए उकसाती है और अन्ततः मानवता से दूर ले जाती है।