ऋग्वेद के शब् दों की ही नहीं अपितु एक-एक अक्षर तक की गणना कर ली गयी थी, अनुक्रमणी में इसकी संख् या 432000 है ।
22.
वेदराशि की सुरक्षा के लिए तथा मंत्रों की आर्य परंपरा को सुव्यवस्थित बनाए रखने के उद्देश्य से प्राचीन महर्षियों ने प्रत्येक वैदिक संहिता के विविध विषयों की अनुक्रमणी बनाई है।
23.
इस प्रकार किसी भी वैदिक मंत्र का ऋषि, छंद या देवता कौन है अथवा वह मंत्र किस मंडल, अनुवाक या सूक्त का है यह जानने के लिए तत्संबंधी अनुक्रमणी का अवलोकन सहायक होता है।
24.
इस कठिनाई को दूर करने की दृष्टि से महर्षि कात्यायन ने एक ऐसी अनुक्रमणी की रचना की जिसमें संहिता के अंतर्गत समस्त मंत्रों के संबंध में सकल ज्ञेय वस्तु की एकत्र उपलब्धि हो जाए।
25.
कात्यायन प्रभति ऋषियों की अनुक्रमणी के अनुसार ऋचाओं की संख्या १ ० ५ ८ ०, शब्दों की संख्या १ ५ ३ ५ २ ६ तथा शौनक कृत अनुक्रमणी के अनुसार ४, ३ २, ००० अक्षर हैं।
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कात्यायन प्रभति ऋषियों की अनुक्रमणी के अनुसार ऋचाओं की संख्या १ ० ५ ८ ०, शब्दों की संख्या १ ५ ३ ५ २ ६ तथा शौनक कृत अनुक्रमणी के अनुसार ४, ३ २, ००० अक्षर हैं।
27.
ऋग्वेद की रक्षा तथा इसमें बाद में कोई परिवर्तन न हो सके अत: इसके सम्पूर्ण सूक् तों की शब् द संख् या की भी गणना कर ली गयी थी, अनुक्रमणी में यह संख् या 153826 है ।
28.
यदि पाठकों को उपयोगी एवं महत्वपूर्ण ग्रंथों के संबंध में दिशप्रदर्शन करना हो तो ग्रंथसूची के अंत में अकारादि क्रम में विषय अनुक्रमणी (सब्जेक्ट इंडेक्स) देकर ऐसा किया जा सकता है, और यदि ग्रंथसूची का उद्देश्य केवल यह बतलाना है कि विषय पर अब तक कौन कौन से ग्रंथ लिखे जा चुके हैं तथा किस अंग की अभी तक कमी है तो किसी वर्गीकरण पद्धति (क्लासीफिकेशन सिस्टम) के आधार पर संपूर्ण साहित्य को वर्गीकृत क्रम (क्लासफाइड अरेंजमेंट) में रखा जा सकता है।
29.
यदि पाठकों को उपयोगी एवं महत्वपूर्ण ग्रंथों के संबंध में दिशप्रदर्शन करना हो तो ग्रंथसूची के अंत में अकारादि क्रम में विषय अनुक्रमणी (सब्जेक्ट इंडेक्स) देकर ऐसा किया जा सकता है, और यदि ग्रंथसूची का उद्देश्य केवल यह बतलाना है कि विषय पर अब तक कौन कौन से ग्रंथ लिखे जा चुके हैं तथा किस अंग की अभी तक कमी है तो किसी वर्गीकरण पद्धति (क्लासीफिकेशन सिस्टम) के आधार पर संपूर्ण साहित्य को वर्गीकृत क्रम (क्लासफाइड अरेंजमेंट) में रखा जा सकता है।