| 1. | अनुक्रमणी ने ऋग्वेद को कृष्ण आंगिरस का माना है।
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| 2. | अनुक्रमणी में यह “प्रवेश द्वार” छप गया।
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| 3. | इसकी अनुक्रमणी नारदीय (1 ।
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| 4. | बृहद्देवता में देवताओं की अनुक्रमणी है।
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| 5. | शौनक ने ऋग्वेद प्रातिशाख्य, अनुक्रमणी और
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| 6. | इन सूक्तों में शौनक की अनुक्रमणी के अनुसार 10, 580 मंत्र है।
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| 7. | बाद के अंश को प्रस् तावन मात्र एवं अनुक्रमणी ही समझें।
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| 8. | शौनक ने ऋग्वेद प्रातिशाख्य, अनुक्रमणी और बृहददेवता की भी रचना की थी।
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| 9. | शौनक ने ऋग्वेद प्रातिशाख्य, अनुक्रमणी और बृहददेवता की भी रचना की थी।
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| 10. | ऋग्वेद अनुक्रमणी के अनुसार-ऋग्वेद के कई सुक्तों का प्रणयन महर्षि पराशर ने किया था।
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