| 21. | अतः अन्नमय कोष की साधना करें।
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| 22. | अन्नमय कोष, प्राणमय कोष, मनोमय कोष, विज्ञानकोष और आनंदमय कोष।
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| 23. | उसके द्वारा यह (अन्नमय कोश) परिपूर्ण है ।
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| 24. | अन्नमय कोष यानी हमारा स्थूल शरीर।
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| 25. | अर्थात हमारे अन्नमय, प्राणमय तथा मनोमय कोश स्पन्दित होते हैं।
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| 26. | ये आनंदमय परमात्मा ही अन्नमय आदि सबके अंतरात्मा है.
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| 27. | यहाँ प्रस्तुत है अन्नमय कोशका परिचय।
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| 28. | यही अन्नमय कोश हम है ।
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| 29. | वैखरी शरीर अथवा अन्नमय कोश का अंग दिखाई पड़ती है।
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| 30. | आपका अन्ना पे लिखा अन्नमय लेख बहुत ही सामयिक है...
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