वाद बिन्दु संख्या-1 व 3 के निस्तारण के दौरान यह उपमति दी जा चुकी है कि याची कोई चोट, इलाज या खर्चे को साबित करने में असफल रही है।
22.
उपरोक्त विवेचन से यह निष्कर्ष निकलता है कि गूल की विद्यमानता के प्रश्न पर विद्वान अवर न्यायालय द्वारा दी गयी उपमति उचित है और इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
23.
उपरोक्त विवेचना से यह निष्कर्ष निकलता है कि परीक्षण न्यायालय द्वारा दी गयी उपमति अनुचित है और परीक्षण न्यायालय द्वारा अपीलार्थी / अभियुक्त को दोष सिद्ध कर विधिक त्रुटि कारित की गयी है।
24.
विद्वान मजिस्टेट द्वारा यह लेशमात्र भी उपमति नहीं दी गयी है कि निगरानीकर्ता / परिवादी ने जानबूझकर मिथ्या इतिलाह लोक सेवक को दी हो, जिसका मिथ्या होने का उसे ज्ञान या विश्वास था।
25.
और यहां तक कि विद्वान मजिस्टेट द्वारा अपने निर्णय में इस सम्बन्ध में कोई उपमति नहीं दी गयी कि किन आधारों पर वह अपीलार्थी / अभियुक्त से शराब की बरामदगी को अनुचित मानते हैं?
26.
कहीं भी न्यायालय द्वारा यह उपमति उल्लिखित नहीं की गयी है कि निगरानीकर्ता ने पटवारी को बिना किसी आधार के यह जानते हुए कि यह मिथ्या सूचना है, प्रार्थना पत्र दिया हो।
27.
वादी बिन्दु संख्या-5 के विषय में यह उपमति दी गयी कि किसी भी पक्षकार द्वारा इस पर कोई साक्ष्य नहीं दी गयी है, इसलिए वाद बिन्दु नकारात्मक रुप से निर्णीत किया गया।
28.
इस तथ्य को प्रत्यर्थी / प्रतिवादीगण की ओर से बताया गया कि वादी के पिता ने उक्त भूमि 1964 में श्रीमती अहिल्या देवी से खरीदी थी और यही उपमति परीक्षण न्यायालय के द्वारा भी दी गयी है।
29.
चूंकि दुर्घटना के समय प्रश्नगत वाहन विपक्षी संख्या-3 दि ओरियण्टल इन्श्योरेंस कं0लि0 से बीमित था और वाद बिन्दु संख्या-2 के सन्दर्भ में दी गयी उपमति के अनुसार विपक्षी संख्या-3 बीमा कम्पनी मुआवजे की उपरोक्त धनराशि अदा करने के लिए उत्तरदायी है।
30.
उपरोक्त तथ्यों के परिप्रेक्ष्य में विद्वान मजिस्टेट द्वारा पारित प्रश्नगत आदेश में क्षेत्राधिकार सम्बन्धी कोई त्रुटि नहीं है और विद्वान मजिस्टेट द्वारा कोई अनुचित; च्मतअमतेमद्ध उपमति नहीं दी गयी है और न तो विद्वान मजिस्टेट द्वारा कोई कानूनी त्रुटि की गयी है।