| 1. | वाद बिन्दु संख्या-9 पर भी सकारात्मक उपमति दी गयी।
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| 2. | अतः इस बिन्दु पर किसी उपमति की आवश्यकता नहीं है।
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| 3. | क्या वादी का वाद उपमति और विबन्धन के सिद्धान्त से बाधित है?
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| 4. | विद्वान अवर न्यायालय द्वारा दी गयी उपरोक्त उपमति माने जाने योग्य नहीं है।
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| 5. | विद्वान परीक्षण न्यायालय द्वारा कब्जे के सम्बन्ध में कोई उपमति नहीं दी गयी है।
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| 6. | विद्वान मजिस्टेट की उपरोक्त उपमति वन अधिनियम की धारा-69 से समाप्त हो जाती है।
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| 7. | यह निष्कर्ष भी निकलता है कि विद्वान परीक्षण न्यायालय द्वारा दी गयी उपमति सही है।
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| 8. | यह उपमति भी दी गयी कि अपीलार्थी / वादी किसी डमदे चतवपिज को पाने का अधिकारी नहीं है।
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| 9. | अतः विद्वान मुख्य न्यायिक मजिस्टेट द्वारा दी गयी उपमति में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता प्रतीत नहीं होती।
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| 10. | इसके अलावा किसी अन्य उपमति की वर्तमान अपील के निस्तारित करने के लिए कोई आवश्यकता नहीं है।
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