शुभ मुहूर्त में कार्य करने से कार्य में सफलता की संभावना प्रबल होती है, जो ऊध्र्वमुखी भविष्य परिवर्तन का कारण बनती है।
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ऊध्र्वमुखी त्रिकोण, जो शिव यंत्र हैं, वे इस प्रकार 4 त्रिकोण हैं बिंदु, अष्टदल, षोडशदल और भूपुर (चतुस) ।
23.
स्फटिक या स्वर्ण के शास्त्रोक्त मुहूर्त में बने ऊध्र्वमुखी यंत्र की पूजा कर कमलगट्टे की माला से जप करने से लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
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वह जिस दिन अपने पति के इंगित से परिचालित होना बंद कर देगी और अपना एक स्वतंत्र दायरा-जिसकी पहली शर्त आर्थिक आत्मनिर्भरता है-गढ़ लेगी, जिस दिन वह अपने मन पर सिर्फ अपना नियंत्रण स्वीकार करेगी, स्थितियां ऊध्र्वमुखी होने लगेंगी ।