खड़े रहकर पर्वतासन, कटिचक्रासन और फिर चाहें तो सूर्य नमस्कार भी कर सकते हैं, सभी आसनों के विलोम आसन जरूर करें।
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अगर आपके साथ भी यही समस्या है तो योग के कटिचक्रासन के माध्यम से आप इस पर काबू पा सकते हैं।
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अगर आपके साथ भी डाइबिटीज की समस्या है तो योग के कटिचक्रासन के माध्यम से आप इस पर काबू पा सकते हैं।
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कटिचक्रासन ऐसी जकड़न को दूर कर शरीर को लचीलापन प्रदान करता है, जिससे ऊर्जा का प्रवाह ठीक प्रकार से होने लगता है।
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संकल्प: कटिचक्रासन में आंखें बंद करके ध्यान को मेरुदण्ड पर, कमर की साइड, कूल्हे व जांघ पर लाएं, जहां पर इसका प्रभाव पड़ रहा है।
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तीव्र बवासीर की समस्या के समाधान में पवनमुक्तासन, कौआ चाल, कटिचक्रासन, तिर्यक भुजंगासन तथा उदराकर्षण आदि का अभ्यास बहुत फायदेमंद साबित होता है।
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पानी को पांच भागों में बांटकर बारी-बारी से पीएं और क्रमश: कागासन, ताड़ासन, कटिचक्रासन, त्रियक, भुजंगासन, स्कंधासन नौ-नौ बार करें।
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फिर इसके बाद ऊर्ध्व हस्तपदासन का अभ्यास दोनों ओर से 4-4 बार करें और अंत में कटिचक्रासन का अभ्यास करके इस आसन को पूरा करें।
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ये महत्वपर्ण आसन यहां वर्णित हैं-मंडुकासन, कटिचक्रासन, अद्र्धचक्रासन, मकरासन, सर्वांगसान, त्रिकोणासन, पादहस्तासन, दण्डासन, ताड़ासन, पवनमुक्तासन, वज्रासन, पर्वतासन एवं शवासन।
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मोटापे को कम करने के लिए निम्नयोगासन महत्वपूर्ण है-सूर्य नमस्कार, त्रिकोणासन, कटिचक्रासन, अर्धमत्स्येंद्रासन, भुजंगासन, मत्स्यासन, हलासन, चक्रासन और हनुमानासन या आंजनेय आसन करें।