| 21. | कोटिक वे कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर बारौं।
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| 22. | मासा घटै न लि बढ़ै, जौ कोटिक करै उपाय ।।
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| 23. | कहैं कबीर तो दुख पर वारों, कोटिक सूख ॥ 648 ॥
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| 24. | कोटिक कला कांछि दिखराई, जल थल सुधि नहिं का ल..
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| 25. | आप तो “संत ना छोड़े संतई कोटिक मिले असंत ” पर कायम रहिये
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| 26. | सो नहीं होत जप तप के कीने, कोटिक तीरथ न्हा ए..
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| 27. | कोटिक हू कलधौत के धाम, करील के कुंजन ऊपर वारौं॥ सेस गनेस महेस
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| 28. | आप तो “ संत ना छोड़े संतई कोटिक मिले असंत ” पर कायम रहिये
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| 29. | उनका सूत्र संवाद सुनिये-‘ रचि पचि कोटिक कुटिलपन, कीन्हेसि कपट प्रबोध।
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| 30. | महाकवि सूरदास ने भी कहा है-कोटिक कला काछि दिखराई जल-थल सुधि नहिं काल।
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