| 1. | आसा करि-करि जननी जायौ, कोटिक लाड लडायौ।
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| 2. | कोटिक कला काछि दिखराई जल-थल सुधि नहिं काल।
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| 3. | संत न छाडे संतई कोटिक मिले असंत,
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| 4. | पंडित कोक चला गुण मण्डित कोटिक राजत गोपकुमारी॥
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| 5. | कई कोटिक जग फला सुणि गावनहारे राम ॥
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| 6. | कोटिक हू कलधौत के धाम, करील के कुंजन ऊपर
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| 7. | कोटिक गुन सूवा पढै, अंत बिलाई खाय
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| 8. | संत ना छाडै संतई, जो कोटिक मिले असंत
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| 9. | आसा करि-करि जननी जायौ, कोटिक लाड लडायौ।
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| 10. | गिरि सम होंहिं कि कोटिक गुंजा ।।
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