कवि की छवि (फोटो) को इस आकार में मेरे द्वारा लगाया गया है, बीच में विभाजक रेखा मैंने यही सोच कर रखी थी कि भ्रम न हो, खैर! और शायद आवरण-सज्जा पर रचनाकार का नियंत्रण नहीं रहा है.
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-हाँ घर पर रीना उसे अब नहीँ मिलनेवाली थी, ये भी वो जानता था-खैर! दूसरे दिन उसने फिर बातेँ कीँ अपने वकील से और तलाक की कार्यवाही को किस तरह निपटाया जाये उस पर सलाह मश्वरा भी किया.
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हां अगर किसी कविता वाले ब्लाग की आर. एस.एस. फ़ीड अटक जाए तो इन मगजमारों की याद आती है-“मैने कविता लिखी और ३ मिनट तक नारद को रिफ़्रेश कर के देखती रही-क्यों नही दिखा रहा मेरी कडी?” फ़िर प्रोग्रामर मजे ले: नारद को चाहिए की वो जनहित मे बताए कितनी फ़्रिक्वेंटली बेच जाब रन होगा! “बेच जाब क्या होता है?” खैर!
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हां अगर किसी कविता वाले ब्लाग की आर. एस.एस. फ़ीड अटक जाए तो इन मगजमारों की याद आती है-“मैने कविता लिखी और ३ मिनट तक नारद को रिफ़्रेश कर के देखती रही-क्यों नही दिखा रहा मेरी कडी?” फ़िर प्रोग्रामर मजे ले: नारद को चाहिए की वो जनहित मे बताए कितनी फ़्रिक्वेंटली बेच जाब रन होगा! “बेच जाब क्या होता है?” खैर!
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किसने सोचा था, कि, मेरी बिटिया, जो, कढाई बनते समय केवल १३ साल की थी, अपना देश छोड़, कहीँ दूर मुल्क मे जा बसेगी...!और १२ साल बाद, उसकी याद मे ये लेख लिखा जायेगा...! खैर! इस फ्रेम पे जब उजाला पड़ता है,तब ये फूल तथा, रेशम से बनी, हरे पत्तियों की परछाई पड़ती है...चित्र मे ३ डी इफेक्ट के कारन सजीवता नज़र आती है...
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क्या? क्या कह रही हो? ये कैसे...कब हुआ? ” मेरी मती बधीर-सी हो रही थी...दिल से एक सिसकती चींख उठी...'नही...ये आत्महत्या नही..ये तो सरासर हत्या है..आत्महत्या के लिए मजबूर कर देना,ये हत्या ही तो है..' खैर! मैंने अपने पती को इत्तेला दे दी...वे तुंरत मुंबई के लिए रवाना हो गए... बातें साफ़ होने लगीं..तसनीम ने एक बार किसी को कहा था,' मेरी वजह से, मेरे भाई की ज़िंदगी में बेवजह तनाव पैदा हो रहे हैं..
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ये मेरा पानी के रँगोँ से बना पोर्ट्रेट है जिसके पीछे भी मज़ेदार वाकया है ~~~ एक दिन फोन बजा, सामने से एक युवा लडके का स्वर पूछने लगा, “ क्या आप, लावण्या हैँ? ” “हाँ मेरा उत्तर था-कहिये-” “ क्या कोई साडी की दुकान होगी आपके शहर मेँ? मेरी बात पे विश्वास कीजिये, मैँ एक अमरीकन लडकी से मँगनी करना चाहता हूँ और मुझे एक साडी खरीदनी है ” वहाँ से उस लडके ने बताया-खैर!