इस प्रकार चान्द्र वर्ष निरयण सौर वर्ष से लगभग 11 दिन कम है किन्तु वर्ष की गणना सौर वर्ष द्वारा ही की जाती है।
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खेती, करवसूली, विवाह आदि सभी काम अभी भी (कर वसूली छोड़कर) सौर पंचाग से होते हैं परंतु सिक्का चला हुआ है चान्द्र मास और चान्द्रगणना का।
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इसमें जो रस सूर्य मण्डल की ओर फेंका जाता है, उससे आगAेय पुरूष और जो रस चान्द्र की सौम्य दिशा में जाता है, उससे स्त्री शरीर का निर्माण होता है।
24.
वस्तुतः चान्द्र वर्ष एवं सौर वर्ष दोनों ही हमारी संस्कृति की अभेद्य कालगणनाएं है एवं दोनो को ही आधार मानकर भारतीय जनजीवन निरन्तर विकास की ओर अग्रसर रहा है ।
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इसमें जो रस सूर्य मण्डल की ओर फेंका जाता है, उससे आगAेय पुरूष और जो रस चान्द्र की सौम्य दिशा में जाता है, उससे स्त्री शरीर का निर्माण होता है।
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यह बात वेदांग ज्योतिष में वर्णित माघ की अमावस्या को धनिष्ठा नक्षत्र पर होने वाले उत्तरायण में ही सत्य होगी, क्योंकि इसी स्थिति में सौर और चान्द्र दोनों मासोंसे माघ का सम्बन्ध शास्त्रसम्मतहोगा।
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लिखता है इतिहास कथा उस जनाकीर्ण जीवन की; जहाँ सूर्य का प्रखर ताप है, भीषण कोलाहल है पर, फैला है जहाँ चान्द्र साम्राज्य मूक नारी का; वह प्रदेश एकांत, बोलता केवल संकेतॉ में.
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लिखता है इतिहास कथा उस जनाकीर्ण जीवन की ; जहाँ सूर्य का प्रखर ताप है, भीषण कोलाहल है पर, फैला है जहाँ चान्द्र साम्राज्य मूक नारी का ; वह प्रदेश एकांत, बोलता केवल संकेतॉ में.
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अत: हमारे आचार्यों ने खगोलीय वैज्ञानिक प्रविधि से चान्द्र एवं सौर मानों का सामंजस्य स्थापित करने हेतु ‘ अधिमास ' या मलमास जोड़ने की विधि विकसित की, जिससे हमारे व्रत पर्वोत्सवों का सम्बंध ऋतुओं एवं चान्द्र तिथियों से ही बना रह सके।
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अत: हमारे आचार्यों ने खगोलीय वैज्ञानिक प्रविधि से चान्द्र एवं सौर मानों का सामंजस्य स्थापित करने हेतु ‘ अधिमास ' या मलमास जोड़ने की विधि विकसित की, जिससे हमारे व्रत पर्वोत्सवों का सम्बंध ऋतुओं एवं चान्द्र तिथियों से ही बना रह सके।