| 21. | इनमें भी नेत्र, त्वक् और जिह्वा का नियंत्रण तो स्वत: हो जाता है
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| 22. | पंचगव्यपान देह के त्वक् अस्थिगत दोषों के निवारण एवं आत्मशुद्धि का परम् साधन है।
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| 23. | त्वचा का तापमान त्वक् (ढेर्मिस्) की वाहिकाओं में प्रवाहित रक्त की मात्रा परनिर्भर करता है.
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| 24. | इसका क्षीर वा दूध, पुष्प और मूल, त्वक् अधिक प्रयोग में आते हैं ।
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| 25. | ये क्रमश: पाँच हैं-श्रोत्र, त्वक्, चक्षु, रसना और घ्राण ।
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| 26. | जब यह त्वक् तथा अधस्त्वक् के एकाध स्थान में मर्यादित होता है, तब उसे शोफ (
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| 27. | वहाँ त्वक् इन्द्रिय की ग्रहणशक्ति और स्पर्श की ग्राह्यशक्ति दोनों अपना कार्य करने में तत्पर हैं।
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| 28. | इसके सभी भाग-फल, रस, बीज, त्वक् पत्र, मूल, डंठल-तैल ओषधियों तथा अन्य कामों में प्रयुक्त होते हैं।
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| 29. | यदि उस समय योगी के शरीर को छुआ जाय, तो त्वक् इन्द्रिय से उसकी स्पष्ट प्रतीति होगी।
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| 30. | तुलसी की महिमा बताते हुए भगवान शिव नारदजी से कहते हैं-पत्रं पुष्पं फलं मूलं शाखा त्वक् स्कन्धसंज्ञितम्।
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