| 21. | द्विविध स्वभाव धर्मकाय ये हैं-स्वभावविशुद्ध स्वभाव धर्मकाय एवं आगन्तुक विशुद्ध स्वभावधर्मकाय।
|
| 22. | पाणिनीय सम्प्रदाय में उणादि के द्विविध रूप में मिलते हैं-पञ्चपादी, दशपादी।
|
| 23. | इसी पद में सूरदास ने अपने को “ द्विविध आन्धरो ” भी बताया।
|
| 24. | यहाँ विभिन्न भारतीय दार्शनिकों ने ज्ञान के विषय में द्विविध विचार किया है-
|
| 25. | यहाँ विभिन्न भारतीय दार्शनिकों ने ज्ञान के विषय में द्विविध विचार किया है-
|
| 26. | यहाँ विभिन्न भारतीय दार्शनिकों ने ज्ञान के विषय में द्विविध विचार किया है-
|
| 27. | जिनमें से पूर्वभाग का नाम द्विविध ब्राह्मण विचार और उत्तर का नाम कंटकोद्धार होगा।
|
| 28. | ऐसा भी आधुनिक भारतीय साहित्य मिलेगा जिसमें काल-गति का द्विविध बोध क्रियाशील दीखता है:
|
| 29. | सृजन और ध्वंस की द्विविध प्रक्रियाओं का अवलम्बन लेने से ही सुव्यवस्था बन पाती है।
|
| 30. | महायान में बोधिसत्वचर्या की तीन मुख्य अवस्थाएँ हैं जिनमें पहली प्रकृतिचर्या द्विविध है, गोत्रभूमि एवं अधिमुक्तिचर्या।
|