| 21. | डेढ़ सौ के करीब वाख प्रत्यभिज्ञा दर्शन की बारीकियों से ओतप्रोत
|
| 22. | सरल हृदय उसका स्मरण करता है, प्रत्यभिज्ञा हो जाती है।
|
| 23. | के कुछ अवशिष्ट चिद्द सामने पाकर प्रत्यभिज्ञा के रूप में मुगल
|
| 24. | इसका भेद कर अपने वास्तविक स्वरूप की प्रत्यभिज्ञा (पहचान) ही मोक्ष है।
|
| 25. | है तुम्हारी, लेकिन तुम्हें प्रत्यभिज्ञा नहीं है, पहचान नहीं है।
|
| 26. | सनातन रूप-संघटनों की, सम्बन्ध-संरचनाओं की, वह प्रत्यभिज्ञा नई होती है।
|
| 27. | इसका भेद कर अपने वास्तविक स्वरूप की प्रत्यभिज्ञा (पहचान) ही मोक्ष है।
|
| 28. | यमुना को देखकर प्रत्यभिज्ञा का उदय हम इस रूप में पाते हैं,
|
| 29. | इसमें शिव की प्रत्यभिज्ञा के द्वारा ही ज्ञान प्राप्ति को कहा गया है।
|
| 30. | इसमें शिव की प्रत्यभिज्ञा के द्वारा ही ज्ञान प्राप्ति को कहा गया है।
|