M और m हैं तथा इकाई विक्षेप के लि, तार की ऐंठन का बलयुग्म हो तो संतुलन की स्थिति में, गुरुत्वाकर्षण का बलयुग्म तार की ऐंठन का बलयुग्म
22.
M और m हैं तथा इकाई विक्षेप के लि, तार की ऐंठन का बलयुग्म हो तो संतुलन की स्थिति में, गुरुत्वाकर्षण का बलयुग्म तार की ऐंठन का बलयुग्म
23.
तार की कुंडली या कुंडलियाँ एक चुंबक या दोनों चुंबक के चारों ओर इस प्रकार लपेटी जाती हैं कि उनमें धारा बहने पर चुंबकों पर एक ही दिशा में बलयुग्म लगे।
24.
इसके अतिरिक्त भ्रमि वेग w बढ़ाकर भी घूर्णक्षस्थापी के कोणीय संवेग में बहुत अधिक सीमा तक वृद्धि की जा सकती है इससे घूर्णक्षस्थापी पर किसी अल्पायु बाह्य बलयुग्म का प्रभाव नहीं पड़ सकता।
25.
यदि दो वृत्त पादों के बीच कुछ विभवांतर हो और सूई पर एक निश्चित विभव हो तो विद्युत् क्षेत्र के प्रभाव से सूई पर एक बलयुग्म कार्य करता है और सूई को घुमाता है।
26.
किसी पिंड पर जब कोई बलयुग्म कार्य करता है, तब उस पिंड में बलयुग्म (couple) के अक्ष के चारों ओर एक कोणीय संवेग उत्पन्न हो जाता है, जिसके कारण पिंड में उस अक्ष के चारों और भ्रमि करने की प्रवृत्ति उत्पन्न हो जाती है।
27.
किसी पिंड पर जब कोई बलयुग्म कार्य करता है, तब उस पिंड में बलयुग्म (couple) के अक्ष के चारों ओर एक कोणीय संवेग उत्पन्न हो जाता है, जिसके कारण पिंड में उस अक्ष के चारों और भ्रमि करने की प्रवृत्ति उत्पन्न हो जाती है।
28.
जब कुंडली में विद्युत धारा प्रवाहित होती है, तब कुंडली के दो भुजाओं पर बलयुग्म कार्य करता है और कुंडली को उसकी स्थिरावस्था से घुमा देता है, जिससे फॉस्फॉर ब्रांज की पत्ती और नीचे की सर्पिल कमानी में ऐंठन आ जाती है और ए ऐंठन बल युग्म कुंडली पर विपरीत दिशा में कार्य करने लगता है।