मैंने उसके पैरों को फैलाया तो योनिमुख की झलक दिखने लगी जिसमें से रस बह रहा था, उसी रस पर अपने लंड के सुपारे को रगड़कर चिकना किया, फिर चूत के मुहाने पर टिका दिया, फिर धीरे धीरे अन्दर दबाने लगा, आधा लंड चूत में चला गया, सिसकारी के साथ पूनम ने अपने होंठ दांतों से जोर से दबा लिए जैसे दर्द को सहन कर रही हो।
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इसी तारतम्य में मैंने एक बात बिल्कुल नई देखी कि अभी हाल पहले रेखा अपनी गांड का दवाब बनाकर चूत में मेरे लंड को ज्यादा से ज्यादा अन्दर घुसा रही थी, अब उसके एकदम उलट चूत में अन्दर लंड लेकर अपने योनिमुख को भींचकर जब अपना शरीर ऊपर उठती तो लगता जैसे मेरे लिंग को चूत के साथ ऊपर खींच रही हो, जैसा मुख चूषण करने में मजा आता है वैसा लग रहा था।