दूसरा यह कि चूँकि प्रतिज्ञानबद्ध समझौते (कंट्रैक्ट) और विक्षति (रॉर्ट) दोनों ही मामलों में अंतर्निहित उद्देश्य अभावपूर्ति का ही होता है एक यह नियम अपने आज नि:सृत होता है कि यदि वादी ने हानि नहीं उठाई है तो वह किसी क्षतिपूर्ति का भी दावेदार नहीं है।
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दूसरा यह कि चूँकि प्रतिज्ञानबद्ध समझौते (कंट्रैक्ट) और विक्षति (रॉर्ट) दोनों ही मामलों में अंतर्निहित उद्देश्य अभावपूर्ति का ही होता है एक यह नियम अपने आज नि: सृत होता है कि यदि वादी ने हानि नहीं उठाई है तो वह किसी क्षतिपूर्ति का भी दावेदार नहीं है।