| 1. | इस प्रकार की विक्षति को व्रण कहते हैं।
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| 2. | पत्तियों पर पाई जाने वाली विक्षति (
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| 3. | इस प्रकार की विक्षति दर्शायी गयी है (आऊ, १९७३) ।
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| 4. | कर्कश खांसी: ऐसी खांसी घांटी में कोई विक्षति होने के कारण होती है।
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| 5. | कर्कश खांसी: ऐसी खांसी घांटी में कोई विक्षति होने के कारण होती है।
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| 6. | झुलसकर मरते है अथवा पत्तियों के किनारों पर विक्षति होती है, जबकि वाइरस ग्रसित
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| 7. | हृदुरोगों का प्राज्ञान-(१) प्राज्ञान विक्षति के प्रकार से अधिक हृपेशी कीकार्यक्षमता पर निर्भर करता है.
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| 8. | ज्वलनशील विक्षति (लीज़न) तीव्र अपरदनकारी आमाशय शोथ या जीर्ण अपक्षयी आमाशय शोथ में से कोई एक हो सकता है।
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| 9. | मृदु प्रकुंचन मर्मर का कोई विशेष महत्व नहींहोता परन्तु तीव्र संकुचन मर्मर एंव अनुशिथिलन मर्मर आगिक विक्षति के परिचायक हैं.
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| 10. | सबसे साधारण जन्मजात विक्षति अन्तरानिलय पट दोष है जिसके कारण एक तीव्र प्रकुंचनमर्मर के सिवा और कोई भी चिन्ह या लक्षण नहीं होता.
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