विषयवस्तु के रुचिकर होने और अल्प-समय-साध्य होने के गुणों के कारण इसकी गाथाएँ, वर्णन, नाट्यगीति[22] भविष्यवाणियाँ, सूक्तियाँ, लघु कथाएँ[23] सभी ने मिलकर एक सावयव आकार-प्रकार धारण कर लिया था।
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इस तरह उसके सावयव स्वरूप का वर्णन करते हुए अगले मंत्रा में बताया गया कि उस अद्भुत पुरुष से यह ब्रह्मांड उत्पन्न हुआ और वही इस पर अधिष्ठित भी है तथा उत्पन्न जगत से, अलग भी।
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विषयवस्तु के रुचिकर होने और अल्प-समय-साध्य होने के गुणों के कारण इसकी गाथाएँ, वर्णन, नाट्यगीतियाँ (जाब की पुस्तक) भविष्यवाणियाँ, सूक्तियाँ, लघु कथाएँ (रूथ के अध्ययन की कथा) सभी ने मिलकर एक सावयव आकार-प्रकार धारण कर लिया था।
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विषयवस्तु के रुचिकर होने और अल्प-समय-साध्य होने के गुणों के कारण इसकी गाथाएँ, वर्णन, नाट्यगीतियाँ (जाब की पुस्तक) भविष्यवाणियाँ, सूक्तियाँ, लघु कथाएँ (रूथ के अध्ययन की कथा) सभी ने मिलकर एक सावयव आकार-प्रकार धारण कर लिया था।
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वाचस्पति मिश्र ने कहा है कि जैसे सावयव द्रव्य के सभी अवयव मिलकर उस द्रव्य के स्वरूप को धारण करते हैं, इसी तरह यथाक्रम प्रतिज्ञा आदि पाँचों वाक्य मिलकर न्याय नामक महावाक्य का रूप धारण करते हैं।
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जैसा कि आपसे जाना कि यह फिक्शन जैव परिवर्धित सावयव के खतरों, उपभोक्तावादी मूल्यों और मानवीय जीवन के बीच गढे गये कथानक पर चलता है तो अनायास ही इसे बांचने की इच्छा बलवती हो उठी है!
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स भूमि सर्वत स्पृत्वात्यतिष्ठाद्दशात्त्लम् ॥ इस तरह उसके सावयव स्वरूप का वर्णन करते हुए अगले मंत्रा में बताया गया कि उस अद्भुत पुरुष से यह ब्रह्मांड उत्पन्न हुआ और वही इस पर अधिष्ठित भी है तथा उत्पन्न जगत से, अलग भी।
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विषयवस्तु के रुचिकर होने और अल्प-समय-साध्य होने के गुणों के कारण इसकी गाथाएँ, वर्णन, नाट्यगीतियाँ (जाब की पुस्तक) भविष्यवाणियाँ, सूक्तियाँ, लघु कथाएँ (रूथ के अध्ययन की कथा) सभी ने मिलकर एक सावयव आकार-प्रकार धारण कर लिया था।
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डब्ल्यूटीओ के हुक्मनामे के बाद ये कानून खेती पर बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की पकड़ मजबूत करने के लिहाज से बनाये गये हैं औषधीय पौधों, कृषिक्षेत्र के बीजों और जैव विविधता टिकाये रखने वाले असंख्य सूक्ष्मातिसूक्ष्म सेन्द्रीय / सावयव रूपों के पेटेण्टीकरण को सुनिश्चित करते हैं, ये कानून।
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कृषि आधारित अर्थव्यवस्था वाले इस देश में रासायनिक खेती के बाद अब जैविक खेती सहित पर्यावरण हितैषी खेती, एग्रो इकोलोजीकल फार्मिंग, बायोडायनामिक फार्मिंग, वैकल्पिक खेती, शाश्वत कृषि, सावयव कृषि, सजीव खेती, सांद्रिय खेती, पंचगव्य, दशगव्य कृषि तथा नडेप कृषि जैसी अनेक प्रकार की विधियां अपनाई जा रही हैं और संबंधित जानकार इसकी सफलता के दावे करते आ रहे हैं।