| 21. | भजन-सुभग सिंहासन रघुराज राम ।...
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| 22. | आहा! क्या दृश्य सुभग होगा! आनंद-चमत्कृत जग होगा
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| 23. | ' तुलसी सुभग सनेह वन, सिय रघुवीर बिहारू ।
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| 24. | रामु काम सत कोटि सुभग तन।
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| 25. | बुधवार परम सुभग आनन्द गुण गाइये।
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| 26. | अरुन अधर, कपोल, नासा, सुभग ईषद हास।
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| 27. | मेरे सुअ तिय मैं सबल दीन, बेरूप सुभग मूरख प्रवीण”।
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| 28. | आधार राष्ट्र की हों, नारी सुभग सदा ही। ।
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| 29. | मिलत सुभग फल शोक नसावत ।
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| 30. | हरि-पद-रति-सुरभित सुभग, एक हिन्दी एक हिन्द''46
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