| 1. | सुभग स्वर्ग सोपान सरिस सब के मन भावत।
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| 2. | बाँधे श्लथ-बन्धन-ग्रंथि सुभग कुच अर्ध छिपे आधे उभरे।
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| 3. | * रुचिर चौतनीं सुभग सिर मेचक कुंचित केस।
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| 4. | खडे-खडे तब हाँथ जोडकर, चित्रकूट के सुभग शिखर पर
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| 5. | आधार राष्ट्र की हों नारी सुभग सदा ही
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| 6. | सुभग सीतल कमल-कोमल त्रिविध-ज्वाला-हरन।
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| 7. | सुभग स्वर्ग सोपान सरिस सब के मन भावत।
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| 8. | शास्तीय और जाझ संगीत का सुभग समन्वय
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| 9. | संवत् द्वादश षट् सुभग, सोदह से मधुमास।
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| 10. | सुभग रूज, लिपस्टिक, ब्रौस्टिक, पौडर से कर मुख रंजित,
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