बाएं मुख से त्रिष्णुप छंद, पंच दशस्तोम, बृहत सामवेद, पश्चिम मुख से संपूर्ण सामदेव, जगती छंद, सप्त दश स्तोम, वैरूप आदि तथा उत्तर मुख से इक्कीस अधर्वणवेद, आप्तोर्यम, अनुष्ठुप छंद, वैराज का उद्भव हुआ।
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लेखक ऐतिहासिक तथ्य देते हुए मराठा षिवाजी द्वारा 6 जून 1674 को वंषावली, जाति सुधारने व्रातय स्तोम उपनयन तथा राज्यभिषेक का उदाहरण देता हैः ‘ यदि मान भी ले कि वंषावली सच्ची थी फिर भी षिवाजी को उंची जाति में प्रवेष करने के लिए (सामाजिक स्वीकृति) एड़ी-चोटी एक करनी पड़ी।