कषायों के क्षय हो जाने से जिनका ज्ञानोपयोग निर्मल है, समस्त कर्ममल के नष्ट हो जाने से जिनका आत्म स्वरुप परम निर्मल है, जो औदारिक कर्माणादि शरीरों से रहित होने के कारण परम सूक्ष्म हैं, वीर्य घातक अंतराय कर्म के नाश हो जाने से अनंतबल के धारक हैं, कर्म समूह को जलाने वाले तथा सुखरुप धान्य को उत्पन्न करने में बीज के समान हैं, ऐसे अनुपम गुणधारी सिद्धों के समूह को मैं
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अर्थ-कषायों के क्षय हो जाने से जिनका ज्ञानोपयोग निर्मल है, समस्त कर्ममल के नष्ट हो जाने से जिनका आत्म स्वरुप परम निर्मल है, जो औदारिक कर्माणादि शरीरों से रहित होने के कारण परम सूक्ष्म हैं, वीर्य घातक अंतराय कर्म के नाश हो जाने से अनंतबल के धारक हैं, कर्म समूह को जलाने वाले तथा सुखरुप धान्य को उत्पन्न करने में बीज के समान हैं, ऐसे अनुपम गुणधारी सिद्धों के समूह को मैं सर्वदा नमस्कार करता हूं |