| 31. | इसी आधार पर मन को अन्नाद व अन्नमय कहा जाता है।
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| 32. | जीव का अन्नमय कोश नाड़ी समूहों से संचालित होता है.
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| 33. | आहार-विहार ठीक होने के कारण उनका अन्नमय कोष परिशोधित था।
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| 34. | अन्नमय प्राणमय अौर मनोमयआदि और ये सब क्रमशः सूक्ष्मतर होते हैं।
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| 35. | अर्थात हमारे अन्नमय, प्राणमय तथा मनोमय कोश स्पन्दित होते हैं।
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| 36. | प्रथम तो उसे भौतिक शरीर मिला है जो अन्नमय कोष है।
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| 37. | प्राणों का कोष, प्राणमय कोष, अन्नमय कोष से अधिक मूल्यवान है।
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| 38. | आहार-विहार की सुचिता, आसन-सिद्ध और प्राणायाम करने से अन्नमय कोश की
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| 39. | इसलिए पहले से ऋषि शुरू करता है ” अन्नमय कोष। ”
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| 40. | 1. अन्नमय कोश-शरीर पंचतत्व से मिलकर बना है.
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