जैसे यदि कोई फलन y किसी चर रासि x पर निर्भर है और x का मान x 1 से x 2 करने पर y का मान y 1 से y 2 हो जाता है तो (y 2-y 1) / (x 2-x 1) को y का x के सन्दर्भ में अवकलज कहते हैं।
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४९९ में आर्यभट्ट ने, वरसाइन (versine) फलन की शुरुआत की, ज्या की पहली त्रिकोणमितीय सारणी बनायीं, तकनीकों, बीज गणित के लघुगणक, अत्याणु (infinitesimal), अवकलज समीकरण (differential equation) का विकास किया, और एक ऐसी विधि से रैखिक समीकरणों के पूर्ण संख्या हल प्राप्त किया, जो आधुनिक विधि के तुल्य थी, साथ ही गुरुत्वाकर्षण की अभिकेन्द्रिक (heliocentric)प्रणाली पर आधारित खगोलीय (gravitation) गणनाये की.