वाद बिन्दु संख्या-1 के सन्दर्भ में दी गयी उपमति से यह स्पष्ट हो चुका है कि दुर्घटना विपक्षी संख्या-2 द्वारा वाहन को तेजी व लापरवाही से चलाए जाने के कारण घटित हुई और दिनांक-2. 11.2006 को हुई वाहन दुर्घटना में याची को चोटें आयीं।
32.
जहां तक अपीलार्थी / वादीगण का यह कथन है कि कुछ विक्रेताओं द्वारा दाखिल खारिज के मुकदमे में शपथ पत्र दिया गया था, वह साक्ष्य अधिनियम की धारा-3 के अनुसार साक्ष्य में ग्राह्य नहीं है, इसलिए कब्जे के विषय में विद्वान अवर न्यायालय द्वारा दी गयी उपमति गलत है।
33.
विद्वान मजिस्टेट द्वारा अपने प्रश्नगत निर्णय में यह उपमति दी गयी कि विपक्षी ने यह स्वीकार किया है कि 15-16 वर्ष पूर्व से आज मंहगाई में तीन गुना फर्क पड़ गया है और गायत्री देवी को कोई पुरुष-स्त्री सन्तान नहीं है तथा उसके अलावा गायत्री देवी का कोई सहारा नहीं है।
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" इस वाद बिन्दु पर विद्वान सिविल जज (सी. डि.), उत्तरकाशी द्वारा यह अतिरिक्त उपमति दी गयी कि वादी को विवादित नहर व रास्ते का प्रयोग सिंचाई एवं आवागमन हेतु बेरोकटोक व लगतार किए जाने का सुखाधिकार प्राप्त है, जो पूर्व के कई वर्षों के आधार पर उपयोग किए जाने के फलस्वरुप सुखाधिकार की श्रेणी में आता है।