कटि-स्नान करते समय जब पेड़ू को रगड़ा जाता है तो उससे वहां की मांसपेशियां शक्तिशाली होती हैं और आंतों में भरा व चिपका हुआ मल खिसककर बाहर निकल जाता है।
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केवल 2-4 दिन कटि-स्नान करने के बाद ही रोग में सुधार होने पर ही कटि-स्नान को छोड़ देना रोग को पूर्ण रूप से ठीक करने में लाभकारी नहीं होता।
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केवल 2-4 दिन कटि-स्नान करने के बाद ही रोग में सुधार होने पर ही कटि-स्नान को छोड़ देना रोग को पूर्ण रूप से ठीक करने में लाभकारी नहीं होता।
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पेट के रोग, कब्ज, भोजन का अच्छा न लगना (अरुचि), कोलायटिस, वायु विकार तथा गुदा के रोग जैसे बवासीर व भगन्दर आदि रोगों में कटि-स्नान लाभकारी है।
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इसके अलावा रोगी को प्रतिदिन 20 मिनट का कटि-स्नान तथा सप्ताह में 2 बार पूरी चादर का लपेट करना चाहिए (इसमें सारे शरीर को गीली चादर में लपेटकर फिर कंबलों से लपेटा जाता है।