| 31. | इसके उपरांत निगलने की क्रिया द्वारा बोलस ग्रसनी से ग्रसिका में चला जाता है।
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| 32. | मुख से ग्रसनी (Pharynx) के शुरूआती भाग को मुखगुहा कहा जाता है।
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| 33. | मुख, जिह्वा, टॉन्सिल, ग्रसनी आदि से आने वाली शिराएँ भी इसी में खुलती हैं।
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| 34. | ग्रसनी और स्वरयन्त्र खुश्क महसूस होता है तथा आवाजें कमजोर और बेसुरी निकलती है।
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| 35. | चबाया हुआ भोजन मुख के बाद ग्रसनी से होता हुआ ग्रासनली तक जाता है।
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| 36. | की क्रिया मुख के भीतर जिह्वा की पेशियों तथा ग्रसनी की पेशियों द्वारा होती है।
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| 37. | मुख का संबंध ग्रसनी (फेरिंग्स) या मुखाग्र (स्टोमोडियम) से होता है जहाँ पाचन क्रिया होती है।
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| 38. | मुखगुहा एक छोटी ग्रसनी में खुलती है जो वायु एवं भोजन, दोनों का ही पथ है।
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| 39. | ग्रसनी-यह मुख गुहा के पीछे की ओर कीप के जैसा चौड़ा भाग होता है।
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| 40. | मुँह पतले मुख नाल (बकल ट्यूब, Buccal tube) में खुलता है और मुखनाल ग्रसनी (फ़ैरिन्स, Pharynx) में।
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