बौद्ध न्याय में भी कथा के बाद, जल्प एवं वितंडा-भेदों का वर्णन किया जाता है, किंतु अंत में सिद्धांतत: वादकथा को ही ग्राह्य मानकर जल्प और वितंडा को हेप बताया गया है।
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बौद्ध न्याय में भी कथा के बाद, जल्प एवं वितंडा-भेदों का वर्णन किया जाता है, किंतु अंत में सिद्धांतत: वादकथा को ही ग्राह्य मानकर जल्प और वितंडा को हेप बताया गया है।
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बौद्ध न्याय में भी कथा के बाद, जल्प एवं वितंडा-भेदों का वर्णन किया जाता है, किंतु अंत में सिद्धांतत: वादकथा को ही ग्राह्य मानकर जल्प और वितंडा को हेप बताया गया है।
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बौद्ध न्याय में भी कथा के बाद, जल्प एवं वितंडा-भेदों का वर्णन किया जाता है, किंतु अंत में सिद्धांतत: वादकथा को ही ग्राह्य मानकर जल्प और वितंडा को हेप बताया गया है।
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गुण (बुद्धि) में-अर्थ प्रमाण (अनुमान), संशय, अवयव, तर्क, निर्णय, वाद, जल्प, वितण्डा, छल और जाति को अन्तर्भूत किया जा सकता है।
36.
नैयायिकों ने छलादि का प्रयोग सही माना है, परन्तु अकलंक के अनुसार छल का प्रयोग उचित नहीं, क्योंकि छलादि से उत्पन्न जल्प, वितण्डा आदि के अस्तित्व में वे विश्वास नहीं करते।
37.
जल्प और वितण्डा कथाओं में प्रतिवादी यदि अवसर पर किसी कारण से सदुत्तर नहीं दे पाता है, तो पराजय के भय से चुप न रहकर असदुत्तर कहने के लिए भी कभी विवश हो जाता है।
38.
जल्प और वितण्डा कथाओं में जो उत्तर प्रतिवादी के अपने उत्तर की भी हानि कर सकता है अर्थात जो समान रूप से दोनों पक्षों की हानि कर सकता है वह ' जाति ' या ' जात्युत्तर ' है।
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पौढ़ी गढ़वाल त्योंहारों मैं साल्टा महादेव का मेला, देवी का मेला, भौं मेला सुभनाथ का मेला और पटोरिया मेला प्रसिद्द हैं इसी प्रकार यहाँ के पर्यटन स्थल मैं कंडोलिया का शिव मन्दिर, बिनसर महादेव, मसूरी, खिर्सू, लाल टिब्बा, ताराकुण्ड, जल्प देवी मन्दिर प्रमुख हैं।
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पौढ़ी गढ़वाल त्योंहारों मैं साल्टा महादेव का मेला, देवी का मेला, भौं मेला सुभनाथ का मेला और पटोरिया मेला प्रसिद्द हैं इसी प्रकार यहाँ के पर्यटन स्थल मैं कंडोलिया का शिव मन्दिर, बिनसर महादेव, मसूरी, खिर्सू, लाल टिब्बा, ताराकुण्ड, जल्प देवी मन्दिर प्रमुख हैं।