इसके साथ ही पौधों को रोगों व कीटाणुओं तथा पशु पक्षियों से बचाव के लिए छिड़के जाने वाले मैलिथियान, गैमेक्सीन, डाइथेन एम 45, डाइथेन जेड 78 और 2,4 डी जैसे हानिकारक तत्व प्राकृतिक उर्वरता को नष्ट कर मृदा की साधना में व्यतिक्रम उत्पन्न कर इसे दूषित कर रहे हैं जिससे इसमें उत्पन्न होने वाले खाद्य पदार्थ विषाक्त होते जा रहे हैं और यही विषाक्त पदार्थ जब भोजन के माध्यम से मानव शरीर में पहुँचते हैं तो उसे नाना प्रकार की बीमारियां हो जाती हैं।