अंतःकरण की शुद्धि, ज्ञान की प्राप्ति एवं उसी परब्रह्म में तद्रूपता व्यक्ति को उस स्थान पर पहुँचा देती है, जहाँ वह ब्रह्म में स्थित होकर मोक्ष को, अनंत सुख को प्राप्त हो जाता है।
32.
आत्मा नित्य मुक् त है, किन्तु मन अपनी ही क्षणिक तंरगों से तद्रूपता स्थापित कर आत्मा को अपने से ओझल कर देता है और देश, काल तथा निमित्त की भूलभुलैया-माया में खो जाता है ।
33.
उसने तेल के प्रवाह में गोल घूमती मछली की छवि मात्र देखकर अपना बाण चलाकर मन की एकाग्रता की चमत्कारी क्षमता का प्रदर्शन किया था, किंतु मन की एकाग्रता और तल्लीनता-तद्रूपता वाले वास्तविक योग में अंतर है।
34.
शिव के सभी अनुयायियों का विश्वास है कि सभी आत्माओं की रचना भगवान शिव ने की है और वे तद्रूप (उन्ही जैसी) हैं तथा जब उनकी कृपा से अणव, कर्म और माया दूर हो जाएगी, तो सभी आत्माएं इस तद्रूपता का पूर्ण साक्षात्कार कर लेंगी।
35.
शिव के सभी अनुयायियों का विश्वास है कि सभी आत्माओं की रचना भगवान शिव ने की है और वे तद्रूप (उन्ही जैसी) हैं तथा जब उनकी कृपा से अणव, कर्म और माया दूर हो जाएगी, तो सभी आत्माएं इस तद्रूपता का पूर्ण साक्षात्कार कर लेंगी। ॐ