अक्टूबर से मार्च तक अमृतफल आँवला हमारा साथ निभाता है, जब आँवलों की बिदाई होने लगती है, तो बेलफल हमारे स्वागत में हाजिर हो जाता है।
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गर्भवती स्त्रियों को उलटी व अतिसार होने पर कच्चे बेलफल के 20 से 50 मि. ली. काढ़े में सत्तू का आटा मिलाकर देने से भी राहत मिलती है।
33.
बेल का मुरब्बा, बेलफल का चूर्ण, पके हुए बेलफल का गुदा, बेल का कच्चा फल, बेल की जड़, बेल की पत्तियाँ, बेल का शर्बत भी भारत में खूब मिलता है।
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बेल का मुरब्बा, बेलफल का चूर्ण, पके हुए बेलफल का गुदा, बेल का कच्चा फल, बेल की जड़, बेल की पत्तियाँ, बेल का शर्बत भी भारत में खूब मिलता है।
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बार-बार उलटियाँ होने पर और अन्य किसी भी चिकित्सा से राहत न मिलने पर बेलफल के गूदे का 5 ग्राम चूर्ण चावल की धोवन के साथ लेने से आराम मिलता है।
36.
पेट की बीमारियों में जहां ज्यादातर दवाइयां थोड़े समय का असर दिखाकर निष्क्रिय हो जाती हैं, वहीं यह बेलफल एक अचूक औषधी के रूप में पेट की तमाम बीमारियों को जड़ से मिटा समाप्त करता है।
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पेट की बीमारियों में जहां ज्यादातर दवाइयां थोड़े समय का असर दिखाकर निष्क्रिय हो जाती हैं, वहीं यह बेलफल एक अचूक औषधी के रूप में पेट की तमाम बीमारियों को जड़ से मिटा समाप्त करता है।
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कान का दर्द, बहरापनः बेलफल को गोमूत्र में पीसकर उसे 100 मि. ली. दूध, 300 मि. ली. पानी तथा 100 मि. ली. तिल के तेल में मिलाकर धीमी आँच पर उबालें।
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वैशाख मास में तेल, ज्येष्ठ मास में महुआ, आषाढ़ मास में बेल (बेलफल), सावन मास में दूध, भादों मास में छाछ, आश्विन मास में करेला, कार्तिक मास में दही, अगहन मास में जीरा, पौष मास में धनिया (बीज), माघ मास में मिश्री और फाल्गुन मास में चना।
40.
पुराने शालि चावल, पुरानी जौ, पुराने गेहूं, बथुआ का साग, करेला, लौंग, केला, अंगूर, खजूर, चीनी, घी, मक्खन, सिंघाड़ा, खीरा, अनार, सत्तू, केले का फूल, चीनी, कैथ, कसेरू, दाख, पका पपीता, बेलफल, सेंधानमक, पेठे का मुरब्बा, नारियल का पानी, जंगली जानवरों का मांस व छोटी मछलियों का सूप पीना भी लाभकारी होता है।