| 31. | किसी-किसी का ऐसा भी मत है कि मानव-शरीर अति दोषयुक्त है ।
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| 32. | लेकिन मानव-शरीर को चलाने के लिए जीव-चेतना का ज्ञान पर्याप्त नहीं है।
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| 33. | मानव-शरीर की प्रत्येक गतिविधि का संचालन और निर्देशन मस्तिष्क द्वारा होता है।
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| 34. | मानव-शरीर के धरती पर प्रकटन में मानव का कोई हाथ नहीं है।
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| 35. | प्रत्येक मानव-शरीर में अमरता और मृत्यु दोनों के तत्त्व स्थित हैं.
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| 36. | सीधे लकड़ी के लट्ठे मानव-शरीर के स्पंदन को जीवंतता से उभारते हैं।
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| 37. | सब प्रकार के शरीरों में मानव-शरीर को ही श्रेष्ठतम् माना जाता है।
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| 38. | किसी-किसी का ऐसा भी मत है कि मानव-शरीर अति दोषयुक्त है ।
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| 39. | (गत् ब्लॉगसेआगेका) भगवान् ने सबसे श्रेष्ठ मानव-शरीर दिया है ।
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| 40. | सीधे लकड़ी के लट्ठे मानव-शरीर के स्पंदन को जीवंतता से उभारते हैं।
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