| 31. | सनि गुरु-असुर देवगुरु मिलि मनु भौम सहित समुदाई॥
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| 32. | ना जाने केहि रूप में, नारायण मिलि जाइ ।।
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| 33. | और ‘सब मिलि चलहु प्रयाग ' में लिखा:-
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| 34. | तिमि मिलि अमितजगनृपति कब सम होंहिं प्रियतम प्रान कै।
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| 35. | छुट्टी लें तब मिलि सकें, सो पति-पत्नी धन्य ||
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| 36. | सबै बढ़ाबहु बेग मिलि, कहत पुकार-पुकार।।
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| 37. | सूर पवन मिलि निठुर बिधाता चपल कियो जल आनि॥
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| 38. | यह सोहाग की राति रसीली सब मिलि मंगल गाओ।
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| 39. | मिलि अवनि और अम्बर रहत छबि इकसी नभ तीर
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| 40. | संत संग मिलि कीरतनु गाइआ निहचल वसिआ जाई ।
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