| 31. | इसके बाद प्रोस्टेट ग्रंथि, शुक्राशय तथा अन्य पेशियों और तंत्रिकाओं की उत्तेजना समाप्त हो जाती है और वे ढ़ीले पड़ने लगते हैं।
|
| 32. | इसके विपरीत कभी-कभी ग्रंथि या शुक्राशय के अंदर किसी खून की नली के फटने के कारण भी यह रोग हो जाता है।
|
| 33. | कामुक चिंतन कदापि न करें, क्योंकि यौन क्रीड़ा संबंधी विचार चिंतन करते रहने से पुरुष का शुक्राशय स्राव से भरता रहता है।
|
| 34. | समस्त स्तनपायी (mammalia) श्रेणी में, जिनमें मनुष्य भी एक है, नर में अंडग्रंथि, शुक्राशय और शिश्न गर्भ को उत्पन्न करनेवाले अंग हैं।
|
| 35. | यह तरुण अथवा दीर्घकालिक हो सकता है और प्राय: पृष्ठ मूत्रमार्ग प्रदाह (posterir urethritis) तथा शुक्राशय प्रदाह (seminal vesiculitis) के साथ होता है।
|
| 36. | जब तक कामुक विचार और कामुक क्रीड़ा नहीं की जाती, तब तक वीर्य का स्राव नहीं होता और शुक्राशय खाली पड़ा रहता है।
|
| 37. | नहीं, दोनों शुक्राशय से शुक्राणुओं को पूरी तरह खाली करने के लिए आप को 15 से 20 बार उनका निष्कासन करना होगा।
|
| 38. | वैज्ञानिक समझ नहीं पाए हैं कि कैसे, पर कभी-कभार यह कैंसर शुक्राशय की बजाए छाती में या पेट की गुहा में बन जाता है।
|
| 39. | अण्डकोष और शुक्राशय की वातवाहिनियों या सूक्ष्म रक्तवाहिनियों में विकृति होने से उत्पन्न हुई नपुंसकता इस योग के प्रयोग से दूर हो जाती है।
|
| 40. | जब तक कामुक विचार और कामुक क्रीड़ा नहीं की जाती, तब तक वीर्य का स्राव नहीं होता और शुक्राशय खाली पड़ा रहता है।
|