| 31. | मूलतः राहु और केतु सूर्य और चंद्रमा की कक्षाओं के संपात बिंदु हंै जिन्हें खगोलशास्त्र में चंद्रपात कहा जाता है।
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| 32. | बसन्त संपात के बाद की प्रथम तिथि (प्रतिप्रदा) को प्रत्येक संवत्सर व भारतीय नववर्ष का प्रथम दिन कहते है।
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| 33. | पाश्चात्य ज्योतिष में विषुवत् तथा क्रातिवृत्त के वर्तमान संपात को आरंभबिंदु मानकर, 30-30 अंश की 12 राशियों की कल्पना की जाती है।
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| 34. | पाश्चात्य ज्योतिष में विषुवत् तथा क्रातिवृत्त के वर्तमान संपात को आरंभबिंदु मानकर, 30-30 अंश की 12 राशियों की कल्पना की जाती है।
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| 35. | बसंत संपात 21-22 मार्च को होता है तथा इस दिन से उत्तरी गोलार्द्ध में वसंतऋतु का आरंभ हो जाता है।
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| 36. | निरयण गणना का स्थिर आरंभस्थान संपात के सदृश नैसर्गिक नहीं, मगर वह सांकेतिक प्रकार से बहुजनसम्मति से कोई भी लिया जा सकता है।
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| 37. | कालसर्प योग: कितना शुभ, कितना अशुभ कृष्णा मंगला राहु और केतु पृथ्वी व चंद्र के भ्रमण पक्ष के दो संपात बिंदु हैं।
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| 38. | उत्तरी गोलार्द्ध से दक्षिणी गोलार्द्ध में प्रवेश करते समय जब सूर्य बिंदु भूमध्य रेखा को पार करता है उस समय शरद संपात होता है।
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| 39. | इसी प्रकार जब सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध से उत्तरी गोलार्द्ध में प्रवेश करते समय भूमध्य रेखा को पार करता है तब बसंत संपात होता है।
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| 40. | यह नक्षत्र रूढ़ि के अनुसार माप का आदि बिंदु (first point of Aries i. e. g), अर्थात् क्रांतिवृत्त तथा विषुवत् वृत्त का वसंत संपात बिंदु लिया जाता है।
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