| 41. | २. ज्ञान मुद्रा-अंगुष्ठ, तर्जनी के अग्रभाग को मिलायें ।
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| 42. | ६. अपान मुद्रा-अनामिका, मध्यमा एवं अंगुष्ठ के अग्रभाग को मिलायें ।
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| 43. | महा मेसोपोटामियाई क्यूबिट = 6 हस्त = 36 अंगुल = 30 अंगुष्ठ = 600
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| 44. | 1 सामान्य मेसोपोटामियाई क्यूबिट = 5 हस्त = 30 अंगुल = 25 अंगुष्ठ = 500
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| 45. | कनिष्ठा अंगुली का अग्रभाग और अंगुष्ठ के अग्रभाग को मिलाने से वरुण मुद्रा बनती है।
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| 46. | स्पष्टतः अंगुष्ठ बुद्धि की पृष्ठ भूमि और प्रकृति को दर्शाने वाला सबसे महत्वपूर्ण अंग है।
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| 47. | हृदय गुफा में अंगुष्ठ मात्र ज्योति का आभास भी इस प्रकार दिखने लगता है ।
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| 48. | संमुख अंगुष्ठ का अर्थ है, अंगुष्ठ को अन्य उंगलियों की प्रतिकूल स्थिति में लाया जा सकना।
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| 49. | संमुख अंगुष्ठ का अर्थ है, अंगुष्ठ को अन्य उंगलियों की प्रतिकूल स्थिति में लाया जा सकना।
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| 50. | नाल अंगुष्ठ से मध्यमा तक की दूरी को कहते हैं, जबकि पूरा हाथ खुला रखा हो।
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